Wednesday, June 22, 2011

Sirf tum

यूँ पेड़ से लिपटी बेल को देखा,
तो सोचा की काश तुम भी,
एक बार मुझे देख लेती,
सर से लेकर पाँव तक,
सिर्फ और सिर्फ  प्यार हूँ मैं,
काश एक बार सीने से लगा लेती, 
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा बेकरार हूँ
शायद यही है मेरी अधूरी,
इच्छा.................................................

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