Saturday, June 25, 2011

कैसे करू उस इश्क की इबादत जो,
   लिबास-ए-जिस्म की तरह बदल जाता है,

Wednesday, June 22, 2011

Sirf tum

यूँ पेड़ से लिपटी बेल को देखा,
तो सोचा की काश तुम भी,
एक बार मुझे देख लेती,
सर से लेकर पाँव तक,
सिर्फ और सिर्फ  प्यार हूँ मैं,
काश एक बार सीने से लगा लेती, 
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा बेकरार हूँ
शायद यही है मेरी अधूरी,
इच्छा.................................................

Saturday, June 4, 2011

तुम्हारे रुखसार पर गिरी जुल्फें ,
 मुझे बेपरवाह दीवाना कर गयी ,
कम से कम आजमा कर भी देख लो,
  मैं हकीकत  हूँ या अफसाना हूँ,

Thursday, June 2, 2011

वो आती है रोज़ मेरी मेरी कब्र पर,
   अपने हमसफ़र के साथ,
कौन कहता है कि दफ़नाने के बाद,
  जलाया नहीं जाता.............................